लगभग 15 साल पहले फुकुशिमा परमाणु हादसे के बाद बंद पड़े दुनिया के सबसे बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट (World’s Largest Nuclear Power Plant) काशिवाज़ाकी-कारीवा को दोबारा शुरू करने की दिशा में बड़ा फैसला हुआ है, जिस कारण से यह एकबार फिर से चर्चा में आ गया है। हाल ही में क्षेत्रीय विधानसभा की मंज़ूरी के साथ जापान ने परमाणु ऊर्जा की ओर वापसी का अंतिम और निर्णायक कदम उठा लिया।
कहां है काशिवाज़ाकी-कारीवा?
यह परमाणु संयंत्र टोक्यो से करीब 220 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम, जापान सागर के तट पर नीगाता प्रांत में स्थित है। इसे टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (TEPCO) संचालित करती है। 7,965 मेगावाट की नेट क्षमता के साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु बिजलीघर है।
क्यों बंद हुआ था फुकुशिमा के बाद?
साल 2011 में आए भीषण भूकंप और सुनामी से फुकुशिमा दाइची संयंत्र तबाह हो गया था। इसके बाद सुरक्षा कारणों से जापान के 54 परमाणु रिएक्टर बंद कर दिए गए थे, जिनमें काशिवाज़ाकी-कारीवा भी शामिल था, हालांकि यह संयंत्र उस आपदा से सीधे प्रभावित नहीं हुआ था।
दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पॉवर प्लांट हाई लाइट्स:
| विशेषता | विवरण |
| कुल क्षेत्रफल | 4.2 वर्ग किलोमीटर |
| कुल रिएक्टर | 7 |
| रिएक्टर का प्रकार | 5 पारंपरिक BWR (प्रत्येक 1,067 MW) |
| 2 उन्नत ABWR (प्रत्येक 1,315 MW) | |
| कुल ग्रॉस क्षमता | 8,212 MW |
| निर्माण शुरू | 1980 |
| पहला रिएक्टर चालू | 1985 |
| आखिरी रिएक्टर चालू | 1997 |
ऐतिहासिक उतार-चढ़ाव
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1990 के दशक में संयंत्र ने सालाना 60 टेरावाट-घंटे तक बिजली उत्पादन किया।
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2007 के चूएत्सु भूकंप (6.6 तीव्रता) के बाद 21 महीने तक बंद रहा।
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मामूली रेडियोधर्मी पानी का रिसाव हुआ, लेकिन कोई स्वास्थ्य खतरा नहीं पाया गया।
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2017 में परमाणु नियामक प्राधिकरण (NRA) ने यूनिट-6 और 7 को सुरक्षा मानकों पर खरा माना गया।
सुरक्षा में क्या-क्या बदला?
फुकुशिमा के बाद TEPCO ने व्यापक सुधार किए:
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समुद्री दीवारें बढ़ाकर 15 मीटर की गईं
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भूकंप-रोधी ढांचे मज़बूत किए
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भूमिगत फॉल्ट लाइनों (Alpha-Beta) पर अध्ययन
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आतंकी हमलों से बचाव के लिए नई सुरक्षा प्रणाली
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2025 तक सभी सुरक्षा खामियां दूर की गई
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कुल खर्च: लगभग ¥20 अरब येन
वैश्विक तुलना
क्षमता के आधार पर दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र जापान का काशिवाज़ाकी-कारीवा है, जिसकी नेट क्षमता 7,965 मेगावाट है। हालांकि चालू (ऑपरेशनल) परमाणु संयंत्रों की बात करें तो दक्षिण कोरिया का हानुल न्यूक्लियर पावर प्लांट लगभग 7,338 मेगावाट क्षमता के साथ प्रमुख है, जबकि कनाडा का ब्रूस न्यूक्लियर पावर स्टेशन करीब 6,430 मेगावाट क्षमता के साथ दुनिया के सबसे बड़े सक्रिय परमाणु संयंत्रों में शामिल है।
चीन का तियानवान प्लांट भविष्य में 9,000 MW से ज़्यादा क्षमता के साथ इसे पीछे छोड़ सकता है।काशिवाज़ाकी-कारीवा का दोबारा शुरू होना जापान की ऊर्जा नीति में बड़ा मोड़ है। बढ़ती बिजली मांग, कार्बन उत्सर्जन में कटौती और ऊर्जा सुरक्षा के बीच जापान एक बार फिर परमाणु ऊर्जा को अपनाने की राह पर है, हालांकि सामाजिक विरोध और सुरक्षा चिंताएं अभी भी बड़ी चुनौती बनी हुई हैं।
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