देश में नारियल की अत्यधिक पैदावार के लिए दक्षिणी राज्यों का अधिक दबदबा रहा है। भारत विश्व में नारियल के अधीन क्षेत्र की दृष्टि से तीसरे स्थान पर और उत्पादन की दृष्टि से पहले स्थान पर आता है। जिसमें कर्नाटक राज्य ने केरल को पीछे छोड़ दिया है। कर्नाटक भारत का सबसे अधिक नारियल उत्पादन करने वाला राज्य बन गया है। केंद्र के नारियल विकास बोर्ड (CDB) के अनुसार, साल 2023-24 भारत में नारियल का कुल उत्पादन 22.77 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से 20.54 अरब नारियल और उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 9018 नारियल है।
इसी के साथ कर्नाटक राज्य अब ‘नारियल की भूमि’ के रूप में जाना जाता है। आगे लेख में जानें नारियल की भूमि कर्नाटक के बारे में।
देश की नारियल भूमि
देश में नारियल का अधिक उत्पादन करने के लिए दक्षिणी राज्यों को जाना जाता है। लेकिन, कर्नाटक ने अब ‘नारियल की भूमि’ का टैग केरल को पीछे छोड़कर ले लिया है, जो कि साल 2016 से सबसे बड़ा नारियल उत्पादक था।
नारियल विकास बोर्ड (CDB) के आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक ने साल 2022-23 में 595 करोड़ नारियल का उत्पादन किया। उसके बाद केरल राज्य ने 563 करोड़ की पैदावार की। साल 2021-22 में केरल ने 552 करोड़ और कर्नाटक ने 518 करोड़ नारियल का उत्पादन किया।
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वीकेंड एग्रीकल्चर ट्रेंड से नारियल का उत्पादन
भले ही कर्नाटक अकेले भारत के नारियल उत्पादन में 28.5% की भूमिका निभाता है, लेकिन CDB इस सफलता का श्रेय पॉपुलर ‘वीकेंड एग्रीकल्चर’ ट्रेंड और कुशल कृषि पद्धतियों को देता है। इसकी वजह से दक्षिणी जिलों में नारियल की खेती तेजी से फैल रही है। इस वीकेंड एग्रीकल्चर ट्रेंड ने साल 2018 के बाद लोकप्रियता हासिल की है। भारत में लाखों किसान परिवार अपनी आजीविका चलाने के लिए परोक्ष रूप से नारियल पेेड़ पर निर्भर रहते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि कर्नाटक के तीन जिले तुमकुरु, हासन और मांड्या नारियल उत्पादन में 80 प्रतिशत से भी अधिक का योगदान देते हैं।
देश के प्रमुख नारियल उत्पादक राज्य:
देश के प्रमुख नारियल उत्पादक राज्यों में केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश शामिल हैं। यह राज्य देश की नारियल खेती और उत्पादन का करीब 90 प्रतिशत से अधिक योगदान देते हैं। नारियल पेड़ का हरेक हिस्सा किसी न किसी प्रयोजन के लिए उपयोगी होता है।
नारियल की खेती के लिए अनुकूल जलवायु:
नारियल की खेती मुख्य तौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। विभिन्न प्रकार की मिट्टी एवं विभिन्न जलवायु में नारियल का पेड़ पनपता है। यह पेड़ समतल भूभागों और समुद्र तल से 1000 मीटर तक की ऊंचाई तक नारियल की खेती की जा सकती है।