भारतीय रेलवे देश की लाइफलाइन है, जो कि प्रतिदिन करोड़ों यात्रियों को उनकी मंजिलों तक पहुंचाती है। देश में यात्रा करने के लिए यह न सिर्फ बेहतर और सुगम साधन है, बल्कि सबसे लोकप्रिय साधन भी है।
यही वजह है कि रेलवे द्वारा प्रतिदिन 13 हजार से अधिक पैसेंजर ट्रेनों का संचालन किया जाता है, जो कि 7500 से अधिक स्टेशनों से गुजरती हैं। आपनी भारतीय रेलवे में जरूर सफर किया होगा।
हालांकि, इस दौरान क्या आपने कभी गौर किया है कि रेलवे लोकोमोटिव से दो प्रकार के हॉर्न के आवाज आती है। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्या है कि रेलवे द्वारा केवल ही एक ही हॉर्न का क्यों इस्तेमाल नहीं होता है, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
भारतीय रेलवे में हॉर्न का इतिहास
साल 1853 में जब पहली रेलवे की शुरुआत हुई, तो उस समय भाप से चलने वाले इंजन में स्टीम व्हीसल का इस्तेमाल किया जाता था। यह सीटी इंजन के बॉयलर में बनने वाली भाप का इस्तेमाल कर बजाई जाती थी, जिसे एक लीवर या कॉर्ड के माध्यम से बजाया जाता था। इसकी आवाज भी बहुत तेज हुआ करती थी।
जब ट्रेन में इस्तेमाल हुआ ट्रक हॉर्न
20वीं सदी के आते-आते भारतीय रेलवे से स्टीम इंजन ने अलविदा कहना शुरू किया और उनकी जगह डीजल और इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव ने ले ली। हालांकि, इन लोकोमोटिव में स्टीम व्हीसल की जगह नहीं थी, जिसे ट्रकों में इस्तेमाल होने वाले हॉर्न से बदला गया। लेकिन, कुछ समय बाद ट्रक और ट्रेन के गुजरने में भ्रम होने लगा, तो इसे एयर प्रेशर हॉर्न से बदला गया। एयर प्रेशर हॉर्न इन हॉर्न की तुलना में अधिक दूर तक सुनाई देने वाला और अधिक शक्तिशाली था।
रेलवे में क्यों इस्तेमाल होते हैं दो प्रकार के हॉर्न
अब सवाल है कि आखिर रेलवे में लोकोमोटिव द्वारा दो प्रकार के हॉर्न क्यों इस्तेमाल होते हैं, तो आपको बता दें कि रेलवे में एक हॉर्न कम दूरी के लिए होता है, तो दूसरा हॉर्न अधिक दूरी के लिए होता है। इसमें कम दूरी वाले हॉर्न को तब बजाया जाता है, जब ट्रेन स्टेशन से
यात्रा शुरू कर रही होती है, जिससे यात्रियों को ट्रेन की जानकारी मिल जाए। वहीं, अधिक दूरी वाले हॉर्न को रेलवे क्रॉसिंग या फिर नॉन-स्टॉपेज रेलवे स्टेशन से गुजरने के दौरान बजाया जाता है, जिससे रेलवे कर्मचारियों को ट्रेन के निकलने की सूचना मिल जाए।
मालगाड़ियों में इस्तेमाल होता है यह हॉर्न
रेलवे की मालगाड़ियों में अमूमन अधिक दूरी वाला हॉर्न ही इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि, मालगाड़ी में यात्रियों को सूचना देने का कोई संबंध नहीं है। ऐसे में रेलवे स्टॉफ को सूचना देने के लिए लंबी दूरी वाले हॉर्न का इस्तेमाल किया जाता है।
पढ़ेंः कब और क्यों हुआ था भक्ति आंदोलन, यहां पढ़ें पूरा इतिहास