भारत की सशस्त्र सेना अपने शौर्य और वीरता के लिए विख्यात है। इतिहास उठाकर देखें, तो हम ऐसी कई जंगे देखने को मिलती हैं, जिनमें भारतीय सेनाओं ने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया है। सेना के इस साहस का सम्मान करने के लिए भारत सरकार की ओर से परमवीर चक्र के रूप में जाबांज सैनिकों को सम्मान दिया जाता है।
परमवीर चक्र सर्वोच्च सैन्य सम्मान है, जो कि वीरता, अदम्य साहस और शौर्य व बलिदान के लिए दिया जाता है। अभी तक कुल 21 सैनिकों को यह सम्मान मिला है, जिनमें से कुल 14 मरणोप्रांत है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि परमवीर चक्र को डिजाइन करने वाली एक महिला थी। खास बात यह है कि वह भारतीय नहीं, बल्कि विदेशी मूल की महिला थीं। कौन थी यह महिला और क्या है परमवीर चक्र के डिजाइन की कहानी, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
कब हुई परमवीर चक्र की स्थापना
परमवीर चक्र कांस्य का होता है। इसकी स्थापना 26 जनवरी, 1950 को की गई थी। हालांकि, यह 15 अगस्त से प्रभावी माना गया था। मेडल के मध्य में भारत का राष्ट्रीय चिह्न, अशोक की लाट और इसके चारों ओर इंद्र वज्र की चार प्रतिकृतियां होती हैं।
किसने डिजाइन किया था परमवीर चक्र
परमवीर चक्र को डिजाइन करने वाली महिला सावित्री बाई खानोलकर थी। हालांकि, वह भारतीय मूल की नहीं, बल्कि स्विट्जरलैंड की रहने वाली थीं।
कौन थी सावित्री बाई खानोलकर
सावित्री बाई का जन्म स्विट्जरलैंड में हुआ था। उनका मूल नाम ईव यवोन मैडे डी मारोस था। उस समय भारतीय सेना की ट्रेनिंग इंग्लैंड में होती थी। ऐसे में जब सावित्री बाई 16 साल की थी, तो उनकी मुलाकात भारतीय सेना के अधिकारी विक्रम खानोलकर से हुई। विक्रम उस समय इंग्लैंड की रॉयल मिलिट्री अकादमी में ट्रेनिंग ले रहे थे। उन्होंने विक्रम खानोलकर से शादी की और भारत आकर हिंदू धर्म अपना लिया।
पौराणिक कथाओं से प्रेरणा लेकर तैयार किया परमवीर चक्र
सावित्री बाई भारतीय संस्कृति और इतिहास में गहरी रूचि रखती थीं। भारतीय सेना के पहले एडजुटेंट जनरल, मेजर जनरल हीरा लाल अट्टल ने उन्हें भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार डिजाइन करने की जिम्मेदारी सौंपी। ऐसे में उन्होंने भारतीय पौराणिक कथाओं से प्रेरणा लेकर इस चक्र को डिजाइन किया।
उन्होंने इसमें इंद्र वज्र के प्रतीक का इस्तेमाल किया। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह एक शक्तिशाली हथियार था, जो कि ऋषि दधिचि की हड्डियों से तैयार किया गया था और दधीचि को मानवता की भलाई के लिए आत्म-बलिदान देने के लिए जाना जाता है। ऐसे में उन्होंने वीरता के इस चक्र में इंद्र वज्र का इस्तेमाल किया था। यह पुरस्कार आज भारत के वीर सैनिकों को दिया जाता है, जो कि देशवासियों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति भी दे देते हैं।
पढ़ेंःकिसने किया था AI का आविष्कार, क्या है इतिहास, जानें
Comments
All Comments (0)
Join the conversation