हाल ही में अहमदाबाद-लंदन फ्लाइट हादसे के बाद एक बार फिर ब्लैक बॉक्स (Black Box) सुर्खियों में आ गया है। दरअसल, जब कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो हादसे से जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण जानकारियाँ ब्लैक बॉक्स में ही दर्ज होती हैं। ऐसे में इसकी भूमिका जांच के लिहाज़ से बेहद अहम हो जाती है। आइए जानते हैं कि आखिर ब्लैक बॉक्स क्या होता है, यह कैसे काम करता है, और विमान दुर्घटनाओं की जांच में इसकी क्या भूमिका होती है।
क्या होता है ब्लैक बॉक्स?
What Is a Black: किसी विमान में मौजूद "ब्लैक बॉक्स" वास्तव में चमकीले रंग के स्पेशल डिवाइस होता हैं, जिन्हें अत्यधिक टक्कर और आग जैसी परिस्थितियों को सहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बता दें कि हर कमर्शियल फ्लाइट में दो ब्लैक बॉक्स होते हैं और ये मज़बूत बॉक्स में बंद होते हैं ताकि विस्फोट, आग, पानी के दबाव और तेज़ गति की दुर्घटना के बाद भी सुरक्षित रहें।
किस रंग का होता है ब्लैक बॉक्स?
What is the colour of black box in aeroplane ब्लैक बॉक्स नाम से भले ही लगता है कि इसका रंग काला होगा, लेकिन वास्तव में यह चमकीले नारंगी रंग का होता है। इसका उद्देश्य दुर्घटना के बाद मलबे में आसानी से ढूंढ़ पाना है। इसका नाम 'ब्लैक बॉक्स' प्रतीकात्मक है, जबकि इसका रंग सुरक्षा के लिहाज़ से चुना गया है।
ब्लैक बॉक्स के दो मुख्य भाग होते हैं:
- फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): यह विमान की ऊंचाई, गति, इंजन की शक्ति और उड़ान की दिशा जैसे तकनीकी आंकड़ों को रिकॉर्ड करता है। आधुनिक विमानों, जैसे कि दुर्घटनाग्रस्त बोइंग 787, में यह यंत्र हजारों तकनीकी मापदंडों को दर्ज करता है — पायलट के नियंत्रण इनपुट से लेकर एयर कंडीशनिंग सिस्टम तक।
- कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR): यह यंत्र कॉकपिट के भीतर की सारी आवाज़ें रिकॉर्ड करता है, जिसमें पायलटों की बातचीत, रेडियो पर संवाद, चेतावनी अलार्म आदि शामिल होती हैं।
ये दोनों रिकॉर्डर 25 घंटे तक की उड़ान से जुड़ी सूचनाएँ लगातार रिकॉर्ड करते रहते हैं, जिससे किसी भी तकनीकी समस्या की पूर्व जानकारी भी जांचकर्ताओं को मिल सकती है।
क्यों फ्लाइट्स में लगा होता है ब्लैक बॉक्स?
जब कोई गवाह जीवित नहीं बचता या विमान का मलबा बेहद क्षतिग्रस्त हो जाता है, तब यही ब्लैक बॉक्स दुर्घटना की सच्चाई सामने लाने का एकमात्र भरोसेमंद माध्यम बनता है। इसमें दर्ज जानकारी के ज़रिए न केवल हादसे के असली कारणों का खुलासा होता है, बल्कि इससे जुड़े विश्लेषण से विमानन उद्योग में सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाया जाता है, पायलटों की प्रशिक्षण विधियों में बदलाव होते हैं और विमानों की डिज़ाइन में भी सुधार किया जाता है। इन सब प्रयासों की बदौलत भविष्य में संभावित हादसों को रोका जा सका है।
जब ब्लैक बॉक्स ने निभाई थी अहम भूमिका:
जैसे डीएनए सबूत अपराध मामलों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, वैसे ही ब्लैक बॉक्स का डेटा विमान हादसों में कारण जानने में मदद करता है। उदाहरण के तौर पर 2015 की Germanwings दुर्घटना और मलेशिया एयरलाइंस की घटनाओं में इन रिकॉर्डरों ने अहम भूमिका निभाई थी। भारत में 2020 की कोझिकोड विमान दुर्घटना की जांच में भी पायलट के निर्णय और रनवे की स्थिति का विश्लेषण ब्लैक बॉक्स के माध्यम से किया गया।