ऐतिहासिक रूप से देखें, दो दिल्ली कई बार उजड़ी और कई बार बसी। यहां कई राजा-महाराजा और सुल्तान आए, जिन्होंने दिल्ली को कई बार उजाड़ने के साथ शहर को अपने हिसाब से बसाने की कवायद की। इससकी बानगी हमें दिल्ली के ऐतिहासिक किले और अन्य धरोहरों में देखने को मिल सकती है। यही वजह है कि दिल्ली के कोने-कोने में इतिहास बसता है और यहां प्रत्येक ऐतिहासिक इमारत की अपनी कहानी है।
दिल्ली को रचने-बसने को लेकर अलग-अलग कहानियां मौजूद हैं। हालांकि, इतिहास के पन्नों में झांकें, तो हमें इसका इतिहास हजारों साला पुराना मिलता है। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि दिल्ली पर राज करने वाला पहला ऐतिहासिक राजा कौन था, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
दिल्ली पर राज करने वाले पहले राजा
इतिहास के पन्नों पर गौर करें, तो अनंगपाल तोमर को दिल्ली का पहला राजा कहा जाता है। अनंगपाल तोमर को अनंगपाल द्वितीय के नाम से भी जाना जाता था। वह तोमर वंश के शासक थे, जिनका शासनकाल 11वीं शताब्दी का रहा है।
कब की दिल्ली की स्थापना
अनंगपाल तोमर ने दिल्ली की स्थापना 1052 ईस्वी में की थी। उस समय उन्होंने शहर का नाम ढिल्लिका रखा था, जो समय के साथ बदलते-बदलते दिल्ली हो गया।
किस किले का कराया निर्माण
दिल्ली में यह बात बहुत ही कम लोगों को पता हो सकती है कि यहां एक लाल कोट का किला भी है। यह किला मौजूदा समय में महरौली शहर में है। इसे दिल्ली का पहला किला माना जाता है, जो कि एक मजबूत गढ़ माना जाता था। हालांकि, आज इस किले के कुछ अवशेष ही बचे हैं। महरौली में लगा प्रसिद्ध लौह स्तंभ को लाने का श्रेय अनंगपाल तोमर को ही दिया जाता है।
मंदिर और संरचनाओं का कराया निर्माण
अनंगपाल तोमर कला और वास्तुकला के संरक्षक थे। उन्होंने ने दक्षिणी दिल्ली में कई मंदिरों और संरचनाओं का निर्माण करवाया। इनके कुछ अवशेष आज भी कुतुब मीनार के पास देख जा सकते हैं।
अनंगपाल के बाद किसने किया शासन
अनंगपाल तोमर द्वितीय के बाद दिल्ली पर चौहानों का शासन रहा था। इन राजाओं में पृथ्वीराज चौहान प्रमुख राजा थे। कुछ समय बाद यहां दिल्ली की सल्तनत की स्थापना हुई और भारत का इतिहास बना।
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