हिंदी दिवस पर कविताएँ (Hindi Diwas 2025 Par Kavitayen) – छात्रों और बच्चों के लिए 15+ सुंदर रचनाएँ

Sep 12, 2025, 17:18 IST

Hindi Diwas Poems 2025: हिंदी दिवस 2025 पर पढ़ें 15+ सुंदर कविताएँ, जो विशेष रूप से छात्रों और बच्चों के लिए चुनी गई हैं। इन हिंदी दिवस पर कविताओं में नर्सरी बच्चों के लिए छोटी कविताएँ, स्कूल छात्रों के लिए अर्थपूर्ण रचनाएँ और बड़ों के लिए प्रेरणादायक कविताएँ शामिल हैं। 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाएँ इन आसान, यादगार और हृदयस्पर्शी कविताओं के साथ।

यहाँ पढ़ें हिंदी दिवस पर 15+ सुंदर कविताएँ
यहाँ पढ़ें हिंदी दिवस पर 15+ सुंदर कविताएँ

Hindi Diwas Par Kavita: भारत की आत्मा उसकी भाषा और संस्कृति में बसती है। हमारी मातृभाषा हिंदी न केवल संवाद का माध्यम है, बल्कि हमारी पहचान, संस्कृति और संस्कारों की जीवंत धरोहर भी है। आज के तकनीकी युग में जहाँ विदेशी भाषाएँ हर क्षेत्र पर हावी हो रही हैं, वहाँ हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि हम हिंदी को सहेजें, अपनाएँ और नई पीढ़ी को इसकी महत्ता समझाएँ।

स्कूलों और कॉलेजों में हिंदी दिवस (14 सितंबर) बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन छात्र-छात्राएँ हिंदी पर भाषण, निबंध और कविताएँ प्रस्तुत करते हैं। यहाँ हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ चुनिंदा हिंदी दिवस पर कविताएँ (Hindi Diwas Poems in Hindi), जिन्हें बच्चे और विद्यार्थी स्कूल कार्यक्रमों में सुना सकते हैं।

Hindi Diwas Poems for Nursery Kids: नर्सरी क्लास के लिए छोटी और सुंदर हिंदी दिवस कविताएँ

कविता 1

जन जन की भाषा है हिंदी,  

भारत की आशा है हिंदी,  

जिसने पूरे देश को जोड़े रखा है,  

वो मजबूत धागा है हिंदी।

कविता 2

सबसे प्यारी, सबसे न्यारी,  

हिन्दी है राष्ट्रभाषा हमारी।  

हमको लगती सबसे प्यारी,  

हिन्दी से पहचान हमारी।

कविता 3

हिंदी मेरा ईमान है,  

हिंदी मेरी पहचान है,  

हिंदी हूँ मैं, वतन मेरा  

प्यारा हिंदुस्तान है।  

कविता 4

ये बोली आन है मेरी,  

विरासत मान मेरा है,  

यही पहचान है अपनी,  

यही अभिमान मेरा है।  

किसी भी और भाषा में,  

करें संवाद क्यों मित्रों?  

हमारी शान है हिंदी,  

ये हिंदुस्तान मेरा है।  

कविता 5

हिन्दुस्तान की है शान हिंदी,  

हर हिन्दुस्तानी की है पहचान हिंदी।  

एकता की अनुपम परम्परा है हिंदी,  

हर दिल का अरमान है हिंदी।

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Hindi Diwas Poems for Kids: बच्चों के लिए हिंदी दिवस पर कविताएँ

कविता 1

सागर में मिलती धाराएँ  

हिंदी सबकी संगम है,  

शब्द, नाद, लिपि से भी आगे  

एक भरोसा अनुपम है।  

गंगा कावेरी की धारा  

साथ मिलाती हिंदी है,  

पूरबपश्चिम/कमलपंखुरी  

सेतु बनाती हिंदी है।

कविता 2

हिंदी हमारी आन है हिंदी हमारी शान है

हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।

हिंदी हमारी वर्तनी हिंदी हमारा व्याकरण

हिंदी हमारी संस्कृति हिंदी हमारा आचरण

हिंदी हमारी वेदना हिंदी हमारा गान है।

हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।

हिंदी हमारी आत्मा है भावना का साज़ है।

हिंदी हमारे देश की हर तोतली आवाज़ है।

कविता 3

मेरी भाषा में तोते भी राम राम जब कहते हैं,

मेरे रोम रोम में मानो सुधा-स्रोत तब बहते हैं ।

सब कुछ छूट जाय मैं अपनी भाषा कभी न छोड़ूंगा,

वह मेरी माता है उससे नाता कैसे तोड़ूंगा ।।

कविता 4

गूंजी हिन्दी विश्व में,

स्वप्न हुआ साकार;

राष्ट्र संघ के मंच से,

हिन्दी का जयकार;

हिन्दी का जयकार,

हिन्दी हिन्दी में बोला;

देख स्वभाषा-प्रेम,

विश्व अचरज से डोला;

कह कैदी कविराय,

मेम की माया टूटी;

भारत माता धन्य,

स्नेह की सरिता फूटी!

कविता 5

पड़ने लगती है पियूष की शिर पर धारा।

हो जाता है रुचिर ज्योति मय लोचन-तारा।

बर बिनोद की लहर हृदय में है लहराती।

कुछ बिजली सी दौड़ सब नसों में है जाती।

आते ही मुख पर अति सुखद जिसका पावन नामही।

इक्कीस कोटि-जन-पूजिता हिन्दी भाषा है वही।

छात्रों और बड़ों के लिए हिंदी दिवस पर कविताएँ

कविता 1

हिन्दी मात्र भाषा नहीं  

संवेदनाओं का उद्गार है  

जीने के बदलते ढंगों में  

भावनाओं का विस्तार है  

निहित शब्द शब्द हर अक्षर  

वास्तव में प्यार है  

विचारित यदि कोई बोले तो  

कृतज्ञता अमार है  

पीढ़ी दर पीढ़ी आवंटित  

मूल्यों का उद्गार है  

एक भाव शैली अनेक  

शब्दों का मण्डार है  

गद्य पद्य हो लेखन भाषा  

शब्दावली अपार है  

बोल चाल कोई भाषा हो  

हिन्दी ही आधार है  

और यदि कोई अच्छी बोले  

लगता मंगलाचार है ।

कविता 2

अंग्रेजी में नंबर थोड़े कम आते हैं,  

अंग्रेजी बोलने से भी घबराते हैं,  

पर स्टाइल के लिए पूरी जान लगाते हैं,  

क्योंकि हम हिंदी बोलने से शर्माते हैं।  

एक वक्त था जब हमारे देश में हिंदी का बोलबाला था,  

मां की आवाज़ में भी सुबह का उजाला था,  

उस मां को अब हम Mom बुलाते हैं,  

क्योंकि हम हिंदी बोलने से शर्माते हैं।  

देश आगे बढ़ गया पर हिंदी पीछे रह गई,  

इस भाषा से अब हम नजर चुराते हैं,  

क्योंकि हम हिंदी बोलने से शर्माते हैं।  

माना, अंग्रेजी पूरी दुनिया को चलाती है,  

पर हिंदी भी तो हमारी पहचान दुनिया में कराती है।  

क्यों ना अपनी मातृभाषा को फिर से सर आंखों पर बिठाए,  

आओ हम सब मिलकर हिंदी दिवस मनाए।

कविता 3

हिंदी को बनवास दे, अंग्रेजी को राज,  

हमने सत्तर साल में, कैसा गढ़ा समाज?  

हिंदी हिन्दुस्तान में, हुई सेविका आज,  

परतानी बनकर यहाँ, इंग्लिश करती राज।  

हिंदी में है चेतना, हिंदी में है प्राण,  

हिंदी में है देश का, स्वाभिमान सम्मान।  

हिंदी सूर कबीर है, हिंदी है रसखान,  

आओ सब मिलकर करें, हिंदी का उत्थान।

कविता 4

करो अपनी भाषा पर प्यार ।

जिसके बिना मूक रहते तुम, रुकते सब व्यवहार ।।

जिसमें पुत्र पिता कहता है, पतनी प्राणाधार,

और प्रकट करते हो जिसमें तुम निज निखिल विचार ।

बढ़ायो बस उसका विस्तार ।

करो अपनी भाषा पर प्यार ।।

भाषा विना व्यर्थ ही जाता ईश्वरीय भी ज्ञान,

सब दानों से बहुत बड़ा है ईश्वर का यह दान ।

असंख्यक हैं इसके उपकार ।

करो अपनी भाषा पर प्यार ।।

यही पूर्वजों का देती है तुमको ज्ञान-प्रसाद,

और तुमहारा भी भविष्य को देगी शुभ संवाद ।

बनाओ इसे गले का हार ।

करो अपनी भाषा पर प्यार ।।

कविता 5

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।

अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन

पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन।

उन्नति पूरी है तबहिं जब घर उन्नति होय

निज शरीर उन्नति किये, रहत मूढ़ सब कोय।

निज भाषा उन्नति बिना, कबहुं न ह्यैहैं सोय

लाख उपाय अनेक यों भले करे किन कोय।

इक भाषा इक जीव इक मति सब घर के लोग

तबै बनत है सबन सों, मिटत मूढ़ता सोग।

और एक अति लाभ यह, या में प्रगट लखात

निज भाषा में कीजिए, जो विद्या की बात।

तेहि सुनि पावै लाभ सब, बात सुनै जो कोय

यह गुन भाषा और महं, कबहूं नाहीं होय।

विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार

सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।

भारत में सब भिन्न अति, ताहीं सों उत्पात

विविध देस मतहू विविध, भाषा विविध लखात।

सब मिल तासों छांड़ि कै, दूजे और उपाय

उन्नति भाषा की करहु, अहो भ्रातगन आय।

कविता 6

एक डोर में सबको जो है बाँधती, वह हिंदी है,

हर भाषा को सगी बहन जो मानती, वह हिंदी है।

भरी-पूरी हों सभी बोलियां, यही कामना हिंदी है,

गहरी हो पहचान आपसी, यही साधना हिंदी है,

सौत विदेशी रहे न रानी, यही भावना हिंदी है।

तत्सम, तद्भव, देश विदेशी, सब रंगों को अपनाती,

जैसे आप बोलना चाहें, वही मधुर, वह मन भाती,

नए अर्थ के रूप धारती, हर प्रदेश की माटी पर,

खाली-पीली-बोम-मारती’, बंबई की चौपाटी पर,

चौरंगी से चली नवेली प्रीति-पियासी हिंदी है,

बहुत-बहुत तुम हमको लगती, ‘भालो-बाशी’, हिंदी है।

उच्च वर्ग की प्रिय अंग्रेज़ी, हिंदी जन की बोली है,

वर्ग-भेद को ख़त्म करेगी, हिंदी वह हमजोली है,

सागर में मिलती धाराएँ, हिंदी सबकी संगम है,

शब्द, नाद, लिपि से भी आगे, एक भरोसा अनुपम है,

गंगा कावेरी की धारा, साथ मिलाती हिंदी है,

पूरब-पश्चिम/ कमल-पंखुरी, सेतु बनाती हिंदी है।

हिंदी दिवस पर प्रस्तुत ये कविताएँ न केवल बच्चों और छात्रों को अपनी मातृभाषा से जोड़ती हैं, बल्कि उनमें हिंदी भाषा के प्रति गर्व और सम्मान की भावना भी जागृत करती हैं। ये छोटी और प्रेरणादायक रचनाएँ स्कूल कार्यक्रमों, भाषण प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए बेहद उपयोगी साबित होंगी और नई पीढ़ी को हिंदी की समृद्धि का संदेश देंगी।

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Gurmeet Kaur
Gurmeet Kaur

Assistant Manager

Gurmeet Kaur is an Education Industry Professional with 10 years of experience in teaching and creating digital content. She is a Science graduate and has a PG diploma in Computer Applications. At jagranjosh.com, she creates content on Science and Mathematics for school students. She creates explainer and analytical articles aimed at providing academic guidance to students. She can be reached at gurmeet.kaur@jagrannewmedia.com

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