भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश को चलाने की जिम्मेदारी यहां की कैबिनेट में मौजूद मंत्रियों व उनके प्रमुख प्रधानमंत्री के हाथों में है। हालांकि, सभी काम राष्ट्रपति के नाम पर होते हैं, लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री द्वारा ही किया जाता है। भारत के राजनीतिक गलियारे से गुजरें, तो हमें कई महान राजनीतिज्ञों से परिचित होने का मौका मिलेगा।
इनमें कुछ नेता ऐसे रहे हैं, जिन्होंने देश में नए प्रयास किए और देश को नई दिशा दी। भारत की राजनीति में हमें कई केंद्रीय मंत्रियों का भी प्रोफाइल देखने को मिलता है। इनमें से एक ऐसे केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं, जिन्हें ‘बाबूजी’ नाम से जाना जाता था। कौन थे यह मंत्री, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
किस केंद्रीय मंत्री को कहा जाता था ‘बाबूजी’
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि भारत में किस केंद्रीय मंत्री को ‘बाबूजी’ कहा जाता था। आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री रहे जगजीवन राम को प्यार से ‘बाबूजी’ भी कहा जाता था।
कौन थे जगजीवन राम
जगजीवन राम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले एक कद्दावर नेता थे। उनका जन्म 1908 में बिहार के भोजपुर में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की थी।
स्वतंत्रता संग्राम में क्या रही भूमिका
जगजीवन राम महात्मा गांधी से अधिक प्रेरित थे। उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल भी गए। वहीं, 1946 में नेहरू की अंतरिम सरकार में वह सबसे युवा मंत्री बनने वाले नेता थे।
सांसद रहकर बनाया विश्व रिकॉर्ड
वह करीब 40 वर्षों तक संसद सदस्य रहे थे, जो कि अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड बन गया था। वह 1946 से 1986 तक संसद में सक्रिय रहे थे। वह मोरारजी देसाई की सरकार में उप-प्रधानमंत्री भी रहे हैं।
1971 के युद्ध में महत्त्वपूर्ण भूमिका
भारत-पाक के 1971 के युद्ध के समय जगजीवन राम रक्षा मंत्री थे। उनके कुशल नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को हराकर बांग्लादेश को आजाद कराया था। वहीं, जिस समय भारत खाद्यान संकट से जूझ रहा था, उस समय उन्होंने हरित क्रांति को सफल बनाकर भारत को खाद्यान के मामले में आत्मनिर्भर बनाया।
मीरा कुमार के पिता हैं जगजीवन राम
आपको यह भी बता दें कि भारत की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष यानि कि मीरा कुमार के पिता जगजीवन राम ही हैं। भारत में उनके जन्मदिवस को समता दिवस के रूप में मनाया जाता है। जगजीवन राम का निधन 1986 में हुआ था। आज दिल्ली में उनके समाधि स्थल को समता स्थल के रूप में जाना जाता है।
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