Vande Matram 150 Years: भारत अपने राष्ट्रीय गीत यानि कि वंदे मातरम के 150 वर्ष होने के उपलक्ष्य में जश्न मना रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साल भर चलने वाले समारोह की शुरुआत की है। साथ ही, देश के शिक्षण संस्थानों से लेकर सरकारी कार्योलयों में इस गीत का जश्न मनाय जा रहा है।
आपको बता दें कि यह कोई साधारण गीत नहीं है, बल्कि यह वह गीत है, जिसने अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी। वंदे मातरम गीत न सिर्फ भारतीय एकता व गौरव का प्रतीक है, बल्कि यह स्वतंत्रता संग्राम का भी प्रतीक है, जिसने देशवासियों में उत्साह भरने का काम किया और देश की आजादी का रास्ता तय करवाया। क्या है इस गीत के पीछे की कहानी, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।
कब और किसने की थी वंदे मातरम की रचना
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि वंदे मातरम की रचना कब और किसने की थी। आपको बता दें कि वंदे मातरम पहली बार 7 नवंबर, 1875 को साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में प्रकाशित हुआ। इसकी रचना बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा की गई थी। हालांकि, बाद में इसे बंकिम द्वारा उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया गया। यह उपन्यास 1882 में प्रकाशित हुआ था।
स्वतंत्रता संग्राम में क्या रहा महत्त्व
वंदे मातरम को पहली बार 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा गाया गया था। वहीं, साल 1905 में जब बंगाल विभाजन हुआ, तो भारत में स्वदेशी आंदोलन चला और इस आंदोलन का मुख्य नारा वंदे मातरम बना और इस गीत ने लोगों को एक डोर में बांधने का काम किया, जिससे अंग्रेजों की नींद उड़ गई थी। क्योंकि, अंग्रेजों की शुरू से ही बांटों और राज करों की नीति थी। ऐसे में ब्रिटिश सरकार ने इस गीत की लोकप्रियता से डरकर गीत के सार्वजनिक गायन पर प्रतिबंध लगाया। हालांकि, इसके बाद भी इसका गायन बंद नहीं हुआ और यह प्रेरणा का स्रोत बना रहा।
कब बना राष्ट्रीय गीत
अब सवाल है कि इस गीत को राष्ट्रीय गीत का दर्जा कब मिला। आपको बता दें कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 24 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान सभा में इस गीत को राष्ट्रीय महत्त्व का बताया और इसे राष्ट्र गान के बराबर दर्जा देने की बात की। इसके बाद इसे राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया।
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