यह बात हम सभी जानते हैं कि बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है, जो कि अपनी ताकत और फुर्ती के लिए विख्यात है। भारतीय जंगलों में इस वन्यजीव को देखने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं। य न सिर्फ पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखता है, बल्कि खाद्य श्रृंखला को भी संतुलित रखने में सहयोग करता है। बीते कुछ वर्षों में सरकार द्वारा बाघों को बचाने के लिए अलग-अलग प्रयास किए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप देश में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है।
देशभर में अलग-अलग जंगलों में सफारी का आयोजन किया जाता है, जिसके माध्यम से पर्यटक बाघों को खुले जंगल में देखने का आनंद उठाते हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत में एक जिला ऐसा भी है, जिसे बाघों का शहर भी कहा जाता है। कौन-सा है यह जिला, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
भारत में कुल कितने बाघ हैं
भारत में पूरी दुनिया के करीब 75 फीसदी बाघों का घर है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुल बाघों की संख्या 3682 दर्ज की गई है। इसके लिए बीते वर्षों में बाघों को बचाने के लिए किए गए प्रयास शामिल हैं, जिससे बाघों को संख्या बढ़ने में मदद मिली है। आपको बता दें कि साल 2006 में यह संख्या सिर्फ 1411 थी।
बाघों को बचाने के लिए भारत ने क्या प्रयास किए
भारत में राजा-महाराजाओं और ब्रिटिश समय में बाघों का अधिक शिकार हुआ था, जिससे बाघों की संख्या में काफी कमी आ गई थी। इसे देखते हुए भारत सरकार की ओर से अप्रैल 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था।
यह उस समय 9 टाइगर रिजर्व से शुरू किया गया था, जबकि आज यह 25 टाइगर रिजर्व तक है। वहीं, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत बाघ का शिकार करना एक कानूनन अपराध है।
ऐसा करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। वहीं, 2006 में स्थापित राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण(NTCA) टाइगर रिजर्व का प्रबंधन करती है और नियम बनाती है।
किस जिले को बाघों का शहर कहा जाता है
अब हम यह जान लेते हैं कि किस जिले को बाघों का शहर भी कहा जाता है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र में स्थित नागपुर को बाघों का शहर भी कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है बाघों का शहर
अब सवाल है कि आखिर नागपुर को ही बाघों का शहर क्यों कहा जाता है। आपको बता दें कि नागपुर उन शहरों में स्थित है, जहां 200 किलोमीटर के दायरे में ही 6 प्रमुख टाइगर रिजर्व हैं। इनमें पेंच, ताडोबा-अंधारी, उमरेड-पाउनी-करहंडा, बोर, मेलघाट और नवेगांव-नागझिरा शामिल है।
ऐसे में नागपुर इन टाइगर रिजर्व के लिए प्रवेश द्वार का काम करता है। आपको बता दें कि नागपुर को यह खिताब 2011 में दिया गया था। यहां पहुंचने पर आपको चौक-चौराहों पर बाघों की मूर्तियां देखने को मिल जाएंगी।
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