मध्ययुगीन काल आमतौर पर पश्चिमी रोमन साम्राज्य के पतन (476 ईस्वी) से लेकर नए दौर (15वीं शताब्दी) की शुरुआत के बीच के युग को कहा जाता है। इस काल को अक्सर मध्य युग भी कहा जाता है, क्योंकि यह प्राचीन और आधुनिक काल के बीच में आता है।
मध्ययुगीन काल को तीन चरणों में बांटा गया है:
प्रारंभिक मध्य युग (5वीं-10वीं शताब्दी) – रोम का पतन, सामंतवाद का उदय और ईसाई धर्म का प्रसार।
उच्च मध्य युग (11वीं-13वीं शताब्दी) – साम्राज्यों का विकास, धर्मयुद्ध, विश्वविद्यालयों की स्थापना और गोथिक वास्तुकला का उदय।
अंतिम मध्य युग (14वीं-15वीं शताब्दी) – ब्लैक डेथ, सौ वर्षीय युद्ध और कॉन्स्टेंटिनोपल का पतन (1453)।
लेकिन, मध्ययुगीन काल में मध्य पूर्व (अपने इस्लामी स्वर्ण युग के कारण), चीन और भारत की आर्थिक हालत बहुत अच्छी थी। इस अवधि में दुनिया के कई सबसे बड़े और सुस्थापित शहर मौजूद थे।
चीन का कैफेंग और कंबोडिया का अंगकोर मध्ययुगीन काल के सबसे बड़े और सुस्थापित शहरों में से थे।
मध्ययुगीन काल के इन सबसे बड़े शहरों ने वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी ताकत को बनाए रखा। इसी दौरान भारत व्यापार, संस्कृति और अर्थव्यवस्था के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा। मध्ययुगीन काल के ये विकास उन शक्तिशाली शहरों के उदय से साफ जाहिर होते हैं, जहां बड़ी आबादी, फलता-फूलता व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता था।
इस लेख में हम अनुमानित जनसंख्या के आधार पर मध्ययुगीन काल के 5 सबसे बड़े शहरों के बारे में जानेंगे।
मध्ययुगीन काल के सबसे बड़े शहरों का संक्षिप्त विवरण
कैफेंग – चीन (7,00,000)
चीन का कैफेंग शहर मध्ययुगीन काल का सबसे बड़ा शहर था, जिसकी आबादी लगभग 7,00,000 थी। यह शहर सोंग राजवंश की राजधानी था। इस शहर में एशिया भर के कई समुदाय रहते थे। इनमें चीनी यहूदी भी शामिल थे, जो फारस या भारत से आकर यहां बसे थे। यह एक राजनीतिक और आर्थिक केंद्र था। अपनी बड़ी आबादी के कारण 12वीं शताब्दी में यह दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक बन गया।
अंगकोर – कंबोडिया (6,50,000)
कंबोडिया का अंगकोर शहर मध्ययुगीन काल का दूसरा सबसे बड़ा शहर था। इसकी आबादी लगभग 6,50,000 थी। यह शहर लगभग छह शताब्दियों तक खमेर साम्राज्य की राजधानी रहा। अंगकोर को सबसे ज्यादा अंगकोर वाट मंदिर के लिए याद किया जाता है। इसका निर्माण राजा सूर्यवर्मन द्वितीय के शासन में पूरा हुआ था।
अंगकोर से एक मुख्य व्यापार मार्ग गुजरता था, जो भारत, चीन और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को जोड़ता था। लेकिन, 16वीं शताब्दी में प्राकृतिक आपदाओं और अन्य दबावों के कारण इस शहर को छोड़ दिया गया।
गंगईकोंड चोलपुरम – भारत (3,00,000)
भारत का गंगईकोंड चोलपुरम मध्ययुगीन काल का तीसरा सबसे बड़ा और संपन्न शहर था। इसकी आबादी लगभग 3,00,000 थी। इस चोल शहर की स्थापना राजेंद्र प्रथम ने पालों पर अपनी जीत के बाद की थी।
यह चोल राजधानी अपने महलों और मंदिरों के साथ शाही शान का प्रतीक थी। यह शहर अपनी सांस्कृतिक संरक्षण और कलात्मक प्रतिभा के लिए जाना जाता था। 13वीं शताब्दी के अंत में चोल साम्राज्य के पतन तक यह शहर फलता-फूलता रहा।
क्योटो – जापान (3,00,000)
जापान का क्योटो शहर मध्ययुगीन काल का चौथा सबसे बड़ा शहर था, जिसकी आबादी लगभग 3,00,000 थी। 794 ईस्वी में क्योटो जापान की शाही राजधानी था। यह शासन, संस्कृति और व्यापार का केंद्र था।
क्योटो समुद्र से काफी दूर था, लेकिन तटीय व्यापार नेटवर्क के साथ अपने मजबूत संबंधों के कारण यह दूसरे देशों के साथ वैश्विक व्यापार करने में सक्षम था। हालांकि, 16वीं शताब्दी में गृह युद्धों के दौरान यह शहर तबाह हो गया था, लेकिन ईदो (टोक्यो) द्वारा पीछे छोड़े जाने से पहले इसने अपना महत्त्व फिर से हासिल कर लिया।
काहिरा – मिस्र (3,00,000)
मिस्र का काहिरा शहर मध्ययुगीन काल का पांचवां सबसे बड़ा शहर था। इसकी आबादी लगभग 3,00,000 थी। इस शहर की स्थापना इस्लामी विजय के दौरान हुई थी। अय्यूबिद राजवंश के तहत काहिरा का महत्व बढ़ा, खासकर धर्मयुद्ध के दौरान सलादीन के शासन में ऐसा हुआ। नील नदी के किनारे स्थित यह शहर 13वीं शताब्दी के मध्य तक मुस्लिम दुनिया के सबसे बड़े और सबसे अमीर शहरों में से एक बन गया।
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