होमवर्क पर NEP का बदलता स्वरूप, अब रटेंगे नहीं, समझेंगे बच्चे…

Mahima Sharan
Sep 8, 2025, 18:03 IST

NEP 2020 Homework Innovation: भारतीय स्कूलों में होमवर्क का मतलब अब पहले जैसा नहीं रह गया है, जहां छात्रों को लंबे पैराग्राफ और गणित के सवाल दे दिए जाते हैं। अब छात्र अपने होमवर्क के साथ थोड़ा मनोरंजन भी कर पाएंगे। जहां पहले होमवर्क के नाम पर छात्रों को नींद आने लगती थी, वहीं अब बच्चे खुद अपनी क्षमता और सोच-समझ से इसे कर पाएंगे।

NEP Policy
NEP Policy

NEP 2020 Homework Innovation: पहले छात्रों के लिए होमवर्क का मतलब होता था मैथ के मुश्किल सवाल सॉल्व करना या लंबे-लंबे क्वेश्चन- आंसर को लिखना और याद करना। लेकिन, यह नीति छात्रों की समझने की क्षमता को कम और रटने की आदत को बढ़ावा देती है। हालांकि, पढ़ाई के तरीके अब बदल रहे हैं। अब होमवर्क छात्रों के लिए मजेदार, दिलचस्प आसान और रचनात्मक बनाए जा रहे हैं, ताकि बच्चे केवल किताबी कीड़े बनकर न रहे। इन नए तरीके का असल मक़सद छात्रों के मन से पढ़ाई का फोबिया निकालकर पढ़ाई से प्यार करवाना है। इससे सीखने की प्रक्रिया अधिक मजेदार और सरल बनती है।

रट्टा मार से रचनात्मकता की ओर बढ़ेंगे बच्चे

अब होमवर्क में लंबे पैराग्राफ याद करने या गणित के सवाल हल करने के लिए नहीं दिए जाते, इसके बजाय अब इन बातों पर जोर दिया जा रहा है कि छात्र चीजों को खुद से सोचने, समझने और बनाने की कोशिश करें। स्कूलों में बच्चों को प्रोजेक्ट बनाना, ग्रुप में काम करना और नई जानकारी पर रिसर्च करने जैसे काम दिए जा रहे हैं। इससे बच्चों की क्रिएटिविटी जागती है और वे अपने खुद के तरीके से सीखते हैं। साथ ही यह छात्रों की सोचने की क्षमता भी बढ़ता है।

प्रधानमंत्री का चलाया नया ‘होमवर्क’ अभियान

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षकों को एक खास टास्क दिया था, जिसमें उन्हें अपने छात्रों के साथ मिलकर देशी उत्पादों का प्रचार करना था और ‘मेक इन इंडिया’, ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसी योजनाओं को बढ़ावा देना था। यह बच्चों के अंदर की देशभक्ति की भावना के साथ-साथ व्यावहारिक सोच को बढ़ाने में मदद करेगा।

NEP से बच्चों को कैसे मिलेगा फायदा

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, होमवर्क को अब पढ़ाई का बोझ नहीं माना जाएगा। बल्कि इसे बच्चों के लिए एक मनोरंजक और व्यावहारिक बनाने की सलाह दी गई है। कई राज्य बोर्डों और केंद्रीय बोर्ड (सीबीएसई) ने अपने स्कूलों में प्रोजेक्ट-आधारित होमवर्क, प्रयोग और रचनात्मक गतिविधियां करने के निर्देश दिए हैं। अब बच्चों से सिर्फ़ 'क्या' नहीं पूछा जाता, बल्कि 'क्यों' और 'कैसे' पर भी ध्यान दिया जाता है।

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Sub Editor

Mahima Sharan, working as a sub-editor at Jagran Josh, has graduated with a Bachelor of Journalism and Mass Communication (BJMC). She has more than 3 years of experience working in electronic and digital media. She writes on education, current affairs, and general knowledge. She has previously worked with 'Haribhoomi' and 'Network 10' as a content writer. She can be reached at mahima.sharan@jagrannewmedia.com.

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