ये हैं उत्तर प्रदेश के शाही परिवार, आज भी शान से जीते हैं घर के सदस्य

उत्तर प्रदेश का अपना समृद्ध इतिहास रहा है। यहां मुगलों से लेकर ब्रिटिश समय में कई महत्त्वपूर्ण रियासतें रही। हालांकि, समय के साथ-साथ इन रियासतों का भारत गणराज्य में विलय हो गया, लेकिन आज भी प्रदेश में इन शाही परिवारों का नाम है। 

Aug 8, 2025, 16:25 IST
यूपी के शाही परिवार
यूपी के शाही परिवार

उत्तर प्रदेश का इतिहास उठाकर देखें, तो हमें अतीत के पन्नों में समृद्ध इतिहास लिखा हुआ मिलता है। प्रदेश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत ने प्रदेश को नए आयाम हासिल करने में मदद की है। ये विरासत नई नहीं है, बल्कि मुगल और ब्रिटिश काल से चली आ रही है। उस समय यहां कई बड़े नवाबों और जमींदारों की रियासतें हुआ करती थीं, जो कि अपनी शाही अंदाज के लिए जानी जाती थी।

बात चाहे बड़ी-बड़ी हवेलियों की हो या फिर शाही रहन-सहन की, कहीं से कोई मुकाबला नहीं था। हालांकि, समय का पहिया घूमा और इन रियासतों का विलय भारतीय गणराज्य में कर दिया गया, जिसके बाद ये रियासतें सीमित हो गईं और बड़ी-बड़ी हवेलियों और महल को टूरिज्म स्पॉट में बदल दिया गया, जो कि कमाई का प्रमुख साधन हो गया।

साल 1971 में सरकार द्वारा शाही भत्ते व विशेष उपाधियों को समाप्त कर दिया गया, जिसके बाद शाही परिवार भी सामान्य जीवन जीने लगे। हालांकि, आज भी ये शाही परिवार प्रदेश में हैं और अपने पुराने अंदाज के लिए जाने जाते हैं। कौन-से हैं ये शाही परिवार, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें। 

अवध के नवाब

अवध के क्षेत्र की राजधानी लखनऊ हुआ करती थी और यह शहर अवध के नवाबों का गढ़ कहा जाता था। अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह थे, हालांकि आज भी उनके वंशज लखनऊ व कोलकाता में मौजूद हैं। लखनऊ में नवाब इब्राहिम अली खान का परिवार आज भी शिवालिक पैलेस में रहता है। इसे शीशमहल भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि चारबाग रेलवे स्टेशन का स्थान कभी शीशमहल के परिवार के पास हुआ करता था। बाद में ब्रिटिश ने यह जमीन ली और रेलवे स्टेशन का निर्माण करवाया।

रामपुर के नवाब

रामपुर रियासत की स्थापना 1774 में नवाब फैजुल्ला खान ने की थी। नवाब रजा अली खान ने रामपुर में रेलवे, नहरों व लाइब्रेरी का निर्माण करवाया। उनके नाम पर रजा लाइब्रेरी आज भी यूपी की प्रमुख लाइब्रेरी है। वर्तमान में उनके प्रमुख वंशजों में नवाब काजिम अली खान और बेगम नूर बानो शामिल है।

भदरी राजघराना (प्रतापगढ़)

प्रतापगढ़ जिला भदरी रियासत का हिस्सा हुआ करता था। यहां भदरी रियासत के राजा रघुराज प्रताप सिंह(राजा भैया) गिनती बहुत ही प्रभावशाली व्यक्तियों में होती है। परिवार अपने विरासत के लिए भी जाना जाता है। राजा भैया के दादा राजा बजरंग बहादुर सिंह ने अपनी इच्छा से 1947 में भदरी रियासत का भारत में विलय कर दिया था। वह बाद में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे हैं।

मांडा राजघराना(प्रयागराज)

आपको बता दें कि मांडा रियासत के राजा विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत के 7वें प्रधानमंत्री रह चुके हैं। यह परिवार अपने राजनीतिक ताकत व विरासत के लिए जाना जाता है। मांडा रियासत की स्थापना 16वीं शताब्दी में राजा गुहन देव ने की थी, जो कि कन्नौज के राजा जयचंद के वंशज थे।

अमेठी राजघराना

अमेठी राजघराने की स्थापना राजा सोढ़ देव ने 966 ईस्वी में की थी। वर्तमान में इस परिवार के राजा डॉ. संजय सिंह कई बार सांसद रह चुके हैं।

दिलीपपुर राजघराना(प्रतापगढ़)

दिलीपपुर राजघराने के प्रमुख शासक राजा अमर पाल सिंह थे। राजा अमर पाल सिंह के बाद उनके पुत्र पशुपति प्रताप सिंह ने परिवार की बागडोर संभाली। उनके चार बेटों में से राजा अरूण प्रताप सिंह ने परिवार संभाला, जिनके बाद उनके वंशज यह रियासत संभाल रहे हैं।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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