दिल्ली का तीस हजारी इलाका, कैसे पड़ा यह नाम, जानें पूरी कहानी

Sep 11, 2025, 13:50 IST

यदि आप दिल्ली-एनसीआर में रह रहे हैं, तो आपने दिल्ली के तीस हजारी इलाके के बारे में जरूर सुना होगा या फिर आप यहां से गुजरे होंगे। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर इस इलाके को तीस हजारी ही क्यों कहा जाता है। क्या है इसेक नाम के पीछे की कहानी, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

दिल्ली का तीस हजारी
दिल्ली का तीस हजारी

दिल्ली में सबसे पुरानी जिला न्यायालयों की बात करें, तो इसमें तीस हजारी कोर्ट का नाम भी टॉप में आता है। यह कोर्ट तीस हजारी इलाके में मौजूद है। यदि आप दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं, तो आपने जरूर इस नाम के बारे में सुना होगा।

वहीं, कुछ लोग तो यहां से गुजरे भी होंगे। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर इस नाम के पीछे की क्या कहानी है, जिससे इस इलाके का नाम तीस हजारी हो गया। क्या कहता है इतिहास, इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में विस्तार से जानेंगे। 

नाम के पीछे जुड़ी हैं दो कहानियां

तीस हजारी नाम के पीछे दो कहानियां जुड़ी हुई बताई जाती हैं। इसमें एक कहानी सिख सैनिकों के डेरा डालने को लेकर है, तो दूसरी कहानी मुगल शासक द्वारा बनाए गए बाग को लेकर है। इन दोनों कहानियों के अलग-अलग मायने हैं। 

नामे के पीछे की पहली कहानी

ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पर कभी 30 हजार पेड़ों वाला एक बाग हुआ करता था। इतिहासकार स्टीफन पी ब्लेक की किताब ‘शाहजहांनाबाद-द सॉवरिन सिटी इन मुगल इंडिया 1639-1739’ में इस बाग का जिक्र भी मिलता है।

उन्होंने लिखा है कि मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा काबुल दरवाजे के बाहर एक बाग बनवाया गया था, जिसे तीस हजारी बाग कहा जाता था। इस बाग में अधिकांश नीम के पेड़ हुआ करते थे। साथ ही, रंग-बिरंगे फूल भी यहां बाग की शोभा बढ़ाते थे। 

नाम के पीछे की दूसरी कहानी

ऐसा कहा जाता है कि साल 1783 में सिख सैन्य अधिकारी बघेल सिंह धालीवाल के नेतृत्व में यहां सिख फौजियों ने डेरा डाला था, जिनकी संख्या 30 हजार थी। हालांकि, कुछ लोगों का मत है कि सिख फौजियों की संख्या सिर्फ 4 से 5 हजार थी, लेकिन उनके अस्तबल में घोड़ों की संख्या 30 हजार थी। इस वजह से इसे तीस हजारी नाम दिया गया। सिखों की मांग की थी कि दिल्ली में सिख धर्म से जुड़ी जगहों की पहचान कर वहं गरुद्वारा बनाने दिया जाए। 

कभी हुआ करती थी रामलीला

आज इस जगह पर सेंट स्टीफंस अस्पताल भी बना हुआ है। वहीं, एक समय था, जब यहां हर साल रामलीला का आयोजन किया जाता था। लेकिन, समय के साथ यहां बदलाव हुआ और यहां तीस हजारी कोर्ट भी बन गई। रामलीला को अजमेरी गेट के पास स्थानांतिरत कर दिया गया। 

दिल्ली मेट्रो का सबसे पुराना स्टेशन

आपको बता दें कि जब दिल्ली में 2002 में पहली मेट्रो चली, तो वह तीस हजारी से लेकर शाहदरा के बीच चली थी। ऐसे में यह दिल्ली मेट्रो का सबसे पुराना मेट्रो स्टेशन भी है। 

पढ़ेंःभारत का कौन-सा जिला कहलाता है ‘लहसुन का शहर’, जानें क्या है नाम



Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News