दुनिया के ज्यादातर देशों के पास अपनी स्थायी सेना होती है, लेकिन कुछ देशों और क्षेत्रों ने सेना नहीं रखने का विकल्प चुना है। ये देश अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस बलों, अर्धसैनिक समूहों या अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था पर निर्भर हैं। सेना न रखने के पीछे कई कारण हैं, जैसे कि ऐतिहासिक अनुभव, संवैधानिक प्रावधान, भौगोलिक रूप से अलग होना और दूसरे देशों के साथ राजनयिक संबंध।
दुनिया में कितने है बाल्टिक देश और इन्हें यह नाम कैसे मिला? जानें
कुछ देशों के पास क्यों नहीं है सेना?
ऐतिहासिक अनुभव और शांति की प्राथमिकता: कुछ देशों ने गृह युद्धों या आक्रमणों के बाद अपनी सेना को भंग कर दिया और शांति एवं विकास का रास्ता चुना (उदाहरण के लिए, कोस्टा रिका, पनामा)।
भू-राजनीतिक व्यवस्था: छोटे राष्ट्र या द्वीपीय देश अपनी सुरक्षा के लिए मजबूत सहयोगियों पर निर्भर रहते हैं (जैसे, आइसलैंड, पलाऊ, मोनाको)।
आर्थिक कारण: कम संसाधनों वाले छोटे देश सैन्य क्षमताओं पर खर्च करने के बजाय आर्थिक और सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता देते हैं।
संधियां और तटस्थता: तटस्थता समझौते या संधियां बाहरी ताकतों या पड़ोसी देशों से सुरक्षा का आश्वासन देती हैं।
इन देशों के पास नहीं है अपनी सेना (2025)
वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू की एक रिपोर्ट के अनुसार, नीचे उन देशों की सूची दी गई है जिनके पास सेना नहीं है और यह भी बताया गया है कि उनकी सुरक्षा का प्रबंधन कैसे किया जाता है-
देश/क्षेत्र | सुरक्षा का प्रबंधन कैसे | संरक्षक/रक्षा गारंटी |
अंडोरा | पुलिस बल, संधियां | स्पेन और फ्रांस |
अरूबा | डच सशस्त्र बल | नीदरलैंड्स |
कोस्टा रिका | पुलिस, अर्धसैनिक बल | कोई औपचारिक संरक्षक नहीं |
डोमिनिका | पुलिस, तटरक्षक बल | क्षेत्रीय सुरक्षा प्रणाली |
ग्रेनाडा | पुलिस, तटरक्षक बल | क्षेत्रीय सुरक्षा प्रणाली |
आइसलैंड | पुलिस, तटरक्षक बल | नाटो (खासकर अमेरिका) |
किरिबाती | पुलिस, छोटी समुद्री गश्ती दल | ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड |
लिकटेंस्टीन | पुलिस, अर्धसैनिक बल | स्विट्जरलैंड (अनौपचारिक) |
मार्शल आइलैंड्स | पुलिस, छोटी रक्षा इकाइयां | संयुक्त राज्य अमेरिका |
मॉरीशस | पुलिस, अर्धसैनिक बल | कोई औपचारिक संरक्षक नहीं |
माइक्रोनेशिया (FSM) | पुलिस, छोटी समुद्री गश्ती दल | संयुक्त राज्य अमेरिका |
मोनाको | पुलिस, काराबिनिएरी | फ्रांस |
नाउरू | पुलिस, छोटी रक्षा इकाइयां | ऑस्ट्रेलिया |
नीयू | पुलिस | न्यूजीलैंड |
पलाऊ | पुलिस, छोटा रक्षा बल | संयुक्त राज्य अमेरिका |
पनामा | पुलिस, सीमा बल | कोई औपचारिक संरक्षक नहीं |
समोआ | पुलिस | न्यूजीलैंड |
सैन मैरिनो | पुलिस, छोटी अर्धसैनिक इकाइयां | इटली (अनौपचारिक) |
सोलोमन आइलैंड्स | पुलिस, समुद्री निगरानी | ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड (जरूरत पड़ने पर) |
सेंट किट्स एंड नेविस | पुलिस, क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था | क्षेत्रीय सुरक्षा प्रणाली |
सेंट लूसिया | पुलिस, तटरक्षक बल | क्षेत्रीय सुरक्षा प्रणाली |
सेंट विंसेंट एंड ग्रेनाडाइन्स | पुलिस, तटरक्षक बल | क्षेत्रीय सुरक्षा प्रणाली |
तुवालु | पुलिस, तटरक्षक बल | ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड |
वानुअतु | पुलिस, छोटा अर्धसैनिक बल | कोई औपचारिक संरक्षक नहीं |
वेटिकन सिटी | स्विस गार्ड (औपचारिक सुरक्षा) | इटली |
ज्यादातर छोटे देश है शामिल
ज्यादातर छोटे देशों, द्वीपों और विशेष राजनयिक या ऐतिहासिक परिस्थितियों वाले राष्ट्रों के पास अपनी सेना नहीं है। ये देश सेना पर कम खर्च करते हैं और उस पैसे को अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और विकास में निवेश करते हैं। उनकी सुरक्षा पुलिस, अर्धसैनिक बलों, अंतरराष्ट्रीय समझौतों या गठबंधन की सदस्यता से सुनिश्चित होती है।
उनकी संप्रभुता का बना रहना यह दर्शाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को नवीन गैर-सैन्य समाधानों, शांतिपूर्ण कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से भी हासिल किया जा सकता है।
सुरक्षा व्यवस्था पर कुछ खास बातें
प्रशांत क्षेत्र के कुछ द्वीपीय देश (किरिबाती, तुवालु, नाउरू, पलाऊ, मार्शल आइलैंड्स, माइक्रोनेशिया, समोआ, नीयू) अपनी सामूहिक रक्षा के लिए बड़े देशों (खासकर ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड या अमेरिका) पर निर्भर हैं। यह संधियों और समझौतों में निर्धारित किया गया है।
यूरोप के छोटे देश (अंडोरा, लिकटेंस्टीन, मोनाको, सैन मैरिनो, वेटिकन सिटी) सैन्य सुरक्षा के लिए अपने पड़ोसी शक्तिशाली देशों के साथ हुए समझौतों पर निर्भर हैं।
कैरिबियाई देश (डोमिनिका, ग्रेनाडा, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट, सेंट किट्स एंड नेविस) क्षेत्रीय सुरक्षा प्रणाली में शामिल हैं। यह एक बहुराष्ट्रीय पुलिस और संकट-प्रतिक्रिया व्यवस्था है।
कोस्टा रिका और पनामा इस मामले में सबसे अलग हैं। उन्होंने अपनी सेनाओं को भंग कर दिया है और बिना किसी बाहरी सैन्य आश्वासन के पुलिस और आंतरिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है।
Comments
All Comments (0)
Join the conversation