महाराष्ट्र भारत में अनार का सबसे बड़ा उत्पादक है, जो देश के कुल उत्पादन में लगभग 54.85% का योगदान देता है। राज्य की सूखी जलवायु, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और खेती की आधुनिक तकनीकें इसे उच्च गुणवत्ता वाले अनार उगाने के लिए आदर्श बनाती हैं। यहां मुख्य रूप से भगवा और गणेश जैसी लोकप्रिय किस्में उगाई जाती हैं। इनकी खेती खास तौर पर सोलापुर, नासिक, सांगली और अहमदनगर जैसे जिलों में होती है। यहां से भारत के अलग-अलग हिस्सों में अनार की आपूर्ति की जाती है।
भारत में अनार का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन-सा है?
भारत में अनार उत्पादक राज्यों की सूची में महाराष्ट्र सबसे ऊपर है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अनुसार, राज्य ने लगभग 1.76 मिलियन टन का उत्पादन किया। इस वजह से यह न केवल घरेलू बाजारों में, बल्कि निर्यात में भी सबसे आगे है। राज्य के किसानों ने सिंचाई के आधुनिक तरीके और निर्यात को ध्यान में रखकर खेती करने की प्रक्रिया अपनाई है, जिसके कारण पैदावार ज्यादा होती है और दुनिया भर में इसकी मांग है। यही वजह है कि हर साल यहां से बड़ी मात्रा में अनार निर्यात किया जाता है।
महाराष्ट्र कितना अनार पैदा करता है?
भारत के आधे से ज्यादा अनार का उत्पादन अकेले महाराष्ट्र करता है। साल 2021-22 में राज्य ने राष्ट्रीय उत्पादन में 54.85% का योगदान दिया। भगवा, जो निर्यात के लिए सबसे लोकप्रिय किस्म है, अपने गहरे लाल रंग, मुलायम बीजों और लंबे समय तक खराब न होने की वजह से पसंद की जाती है। सोलापुर और सांगली जैसे जिलों को भारत का “अनार हब” कहा जाता है। ऐसा यहां बड़े पैमाने पर होने वाली खेती और निर्यात के लिए लगी प्रोसेसिंग यूनिट्स के कारण है।
अनार के बारे में रोचक तथ्य
-भगवा किस्म अपने बड़े आकार, मीठे दानों और लंबे समय तक टिकने की वजह से निर्यात के लिए सबसे ज्यादा पसंद की जाती है। इसकी उत्पत्ति महाराष्ट्र में हुई थी।
-कई दूसरे फलों के विपरीत, अनार को साल में कई बार उगाया और काटा जा सकता है। इससे किसानों को लगातार आमदनी होती रहती है।
-भारत अनार के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। देश के कुल निर्यात में 90% से ज्यादा हिस्सा अकेले महाराष्ट्र का है।
-अनार एक मजबूत और सूखा-सहनशील फल है। यह शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के लिए बहुत उपयुक्त है, जहां दूसरे फल नहीं उग पाते।
औषधीय और पोषण संबंधी लाभ
अनार में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन C और K भरपूर मात्रा में होते हैं। इसका इस्तेमाल आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा में हृदय, त्वचा और पाचन स्वास्थ्य के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है।
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