भारत में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस(National Handloom Day) का आयोजन किया जाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य हथरघा कारीगरों को प्रोत्साहन देना, उद्योग को पुनःस्थापित करना और पारंपरिक कला का समर्थन देकर उसे मान्यता देना है।
देश में पहला हथकरघा दिवस का आयोजन 7 अगस्त, 2015 को किया गया था। भारत में अलग-अलग राज्यों की अपनी विशिष्ट हथकरघा कला है। इसे लेख में हम कुछ राज्यों की हथकरघा कला के बारे में जानेंगे। जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में लखनऊ की चिकनकारी जानी जाती है, जिसे सफेद और महीन धागे से किया जाता है। यह अमूमन सफेद या हल्के रंग के कपड़ों पर ही की जाती है। वहीं, वाराणसी के बनारस साड़ी अपनी बुनाई और सोने-चांदी के धागों के लिए कढ़ाई के लिए जानी जाती है। इसी प्रकार भदोही के कालीन विश्व प्रसिद्ध है, जिन्हें हाथों से बुना जाता है। इस शहर को कालीन नगरी भी कहा जाता है।
पश्चिम बंगाल
यहां की जामदानी साड़ी बारीक बुनाई के लिए प्रसिद्ध है, जो कि मलमल के कपड़े पर होती है। इसके अलावा तंगेल, गरद और कोरियल साड़ियां भी अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं।
तमिलनाडू
यहां की कांचीवरम साड़ी अपने रेशम के कपड़े व शानदार बुनाई के लिए जानी जाती है।
गुजरात
गुजरात की बांधनी साड़ी को बांधकर अलग-अलग रंग के पैटर्न बनाए जाते हैं। यह गुजरात की पुरानी कला है, जो आज भी जीवंत है। वहीं, यहां की घरचोला साड़ी भी विश्व विख्यात है।
ओडिसा
ओडिसा में संबलपुरी इकत हथकरघा कला अपनी बुनाई तकनीक लिए जाना जाता है। यहां बुनाई से पहले घागों को बांधकर रंगा जाता है।
असम
असम का मुगा रेशम अपनी शानदार चमक के लिए जाना जाता है। इसके अलावा यहां की महिलाएं पारंपरिक रूप से मेखला चादर को पहनती हैं, जो कि रेशम से बनी साड़ियां होती हैं।
कर्नाटक
कर्नाटक कै मैसूर सिल्क किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यह मुख्य रूप से सोने के धागों वाले बॉर्डर के लिए जाना जाता है। इसके अतिरिक्त, यहां की बीदरी कला अनोखी है, जिसमें धातु पर चांदी से काम किया जाता है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र की पैठानी साड़ी को रेशम और सोने के धागों से तैयार किया जाता है। इसमें प्राकृतिक डिजाइन बनाए जाते हैं।
राजस्थान
राजस्थान में आपको हथकरघा क्षेत्र में शीशा कढ़ाई मिलेगी। यहां कपड़ों पर शीशा लगाकर धागों से कढ़ाई की जाती है। यह मुख्यतः रंग-बिरंगे कपड़े होते हैं।
पंजाब
पंजाब की फुलकारी कला में कपड़ों पर कढ़ाई कर फूलों के पैटर्न बनाए जाते हैं, जिससे कपड़ा और भी सुंदर लगता है।
हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश की कुल्लु शॉल अपनी विशेष पहचान रखती है, जिसे हाथों से तैयार किया जाता है। यह बहुत ही गर्म शॉल होती है।
जम्मू- कश्मीर
जम्मू-कश्मीर की पश्मीना शॉल अपने कपड़े, कढ़ाई व गर्माहट के लिए जानी जाती है। यह शॉल बहुत ही गर्म होती है।
उत्तराखंड
उत्तराखंड का पिछौड़ा मुख्य रूप से उत्तराखंड की विवाहित महिलाओं द्वारा पहना जाता है। यह पीले और लाल रंग का चौड़ा दुपट्टा होता है, जिस पर स्वस्तिक, शंख व सूर्य शुभ प्रतीक के तौर पर बने हुए होते हैं।
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