दुनिया में किस महाद्वीप को अंध महाद्वीप कहा जाता है, जानें यहां

Dec 9, 2025, 18:58 IST

अंध महाद्वीप (डार्क कॉन्टिनेंट) के रूप में अफ्रीका को यह नाम क्यों मिला और इसके पीछे का इतिहास क्या है। साथ ही, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े महाद्वीप, दुनिया की सबसे लंबी नदी और सबसे बड़े गर्म रेगिस्तान के बारे में भी जानें।

दुनिया का अंध महाद्वीप
दुनिया का अंध महाद्वीप

अफ्रीका को डार्क कॉन्टिनेंट यानी अंध महाद्वीप के नाम से जाना जाता है। शुरुआती यूरोपीय खोजकर्ताओं ने इस शब्द का इस्तेमाल तब किया, जब उनके पास अफ्रीका के अंदरूनी हिस्सों के बारे में सही जानकारी नहीं थी। उस समय केवल तटीय इलाकों का नक्शा बनाया गया था, जबकि अंदर के हिस्से अनजान बने हुए थे। इसी वजह से यह गलत धारणा बन गई कि अफ्रीका एक रहस्यमयी और अनजान जगह है। आज यह शब्द पुराना हो चुका है, लेकिन परीक्षाओं, जीके नोट्स और इतिहास से जुड़ी जानकारी में इसका इस्तेमाल आज भी आम है।

अफ्रीका को अंध महाद्वीप क्यों कहा जाता था?

अफ्रीका को अंध महाद्वीप इसलिए कहा जाता था, क्योंकि यूरोपीय लोग इसके भूगोल, संस्कृतियों, नदियों और जलवायु के बारे में बहुत कम जानते थे। घने जंगलों, रेगिस्तानों, तेज बहने वाली नदियों और खतरनाक जंगली जानवरों के कारण अफ्रीका के अंदर यात्रा करना बहुत मुश्किल था। उस समय के नक्शे अधूरे थे और दिशा बताने वाले उपकरण भी बहुत अच्छे नहीं थे।

जानकारी की इसी कमी के कारण खोजकर्ताओं ने अफ्रीका को "डार्क" यानी अंधकारमय कहा। इसका मतलब ज्ञान की कमी से था, न कि लोगों के रंग या उनकी पहचान से। इससे पता चलता है कि गलतफहमियों ने उस समय दुनिया को देखने का नजरिया कैसे बनाया।

डार्क कॉन्टिनेंट

'डार्क कॉन्टिनेंट' शब्द 19वीं सदी में यूरोपीय उपनिवेशीकरण और खोज के दौरान बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने लगा। हेनरी मॉर्टन स्टेनली जैसे लेखकों ने अफ्रीका को एक रहस्यमयी और अनखोजी धरती बताया। अखबारों, यात्रा कहानियों और औपनिवेशिक लेखों में इस शब्द को बार-बार दोहराया गया, जिससे यह पूरे यूरोप में फैल गया। असल में, अफ्रीका में पहले से ही ताकतवर साम्राज्य, सक्रिय व्यापार मार्ग, विश्वविद्यालय और मजबूत सांस्कृतिक व्यवस्थाएं थीं। यह नाम अफ्रीका के सच्चे इतिहास के बजाय औपनिवेशिक कहानियों की वजह से लोकप्रिय हुआ।

अफ्रीका की भौगोलिक विविधता

अफ्रीका दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है और यहां का भूगोल बहुत अलग-अलग तरह का है। यहां सहारा रेगिस्तान, कांगो के वर्षावन, बर्फ से ढका माउंट किलिमंजारो, पूर्वी अफ्रीका के सवाना घास के मैदान, नील जैसी लंबी नदियां और खूबसूरत समुद्र तट हैं। शुरुआती खोजकर्ताओं के लिए इन इलाकों को पार करना बहुत मुश्किल था। इसी वजह से नक्शे बनाने और जानकारी इकट्ठा करने में बहुत समय लगा। आज यही विविधता अफ्रीका को खास, संसाधनों से भरपूर और विज्ञान के लिए महत्त्वपूर्ण बनाती है।

सभ्यता का महत्त्व

अफ्रीका में हजारों संस्कृतियां, भाषाएं और परंपराएं हैं, जो इसे दुनिया के सबसे विविध क्षेत्रों में से एक बनाती हैं। मिस्र, माली, अक्सुम और कार्थेज जैसी प्राचीन सभ्यताओं ने वास्तुकला, गणित, खगोल विज्ञान, चिकित्सा और व्यापार के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया। अफ्रीकी कला, संगीत, साहित्य और मौखिक कहानी कहने की परंपरा ने पूरी दुनिया की संस्कृति को प्रभावित किया है। ये उपलब्धियां साबित करती हैं कि अफ्रीका कभी भी "डार्क" नहीं था। यह यूरोपीय संपर्क से बहुत पहले से ही एक विकसित और जीवंत महाद्वीप था।

अफ्रीका के बारे में रोचक तथ्य

-अफ्रीका पृथ्वी की लगभग 20% जमीन पर फैला हुआ है। यहां 54 देश हैं, जिनमें रेगिस्तान, जंगल, पहाड़ और बड़ी नदियां शामिल हैं। इसके बहुत बड़े आकार के कारण शुरुआती खोज धीमी रही, जिससे कई गलतफहमियां पैदा हुईं। इसका विशाल भौगोलिक फैलाव उष्णकटिबंधीय से लेकर भूमध्यसागरीय तक कई तरह की जलवायु बनाता है।

-इथियोपिया, केन्या और तंजानिया में खोजे गए जीवाश्मों से पता चलता है कि शुरुआती इंसानों की उत्पत्ति अफ्रीका में हुई थी। ओल्डुवई गॉर्ज और हदर जैसी जगहों पर मानव विकास के विश्व प्रसिद्ध पुरातात्विक सुबूत मिलते हैं। यह अफ्रीका को मानव विज्ञान, इतिहास और वैज्ञानिक रिसर्च का केंद्र बनाता है।

-नील नदी 6,600 किलोमीटर से ज्यादा लंबी है। यह युगांडा, सूडान और मिस्र सहित कई देशों से होकर बहती है। इसने प्राचीन कृषि, व्यापार और बस्तियों को सहारा दिया, जिससे यह मानव सभ्यता की सबसे महत्त्वपूर्ण नदियों में से एक बन गई। आज भी लाखों लोग खेती, बिजली और रोजमर्रा की जिंदगी के लिए नील नदी पर निर्भर हैं।

-सहारा रेगिस्तान उत्तरी अफ्रीका में 90 लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा में फैला है। यहां तापमान बहुत ज्यादा रहता है, बड़े-बड़े रेत के टीले हैं, चट्टानी मैदान हैं और बारिश बहुत कम होती है। इन कठोर परिस्थितियों ने शुरुआती यात्रा को बेहद मुश्किल बना दिया, जिससे खोजकर्ताओं और व्यापारियों के लिए चुनौतियां पैदा हुईं।

-अफ्रीका शेर, हाथी, गैंडा, चीता, जिराफ, जेब्रा और दरियाई घोड़े जैसे विश्व प्रसिद्ध जानवरों का घर है। सेरेनगेटी, मसाई मारा और क्रूगर जैसे राष्ट्रीय उद्यान दुर्लभ प्रजातियों की रक्षा करते हैं और पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देते हैं। अफ्रीका की वन्यजीव विविधता इसे संरक्षण और वैज्ञानिक अध्ययन के लिए एक प्रमुख क्षेत्र बनाती है।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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